अघोराचारसंतुष्टा अघोराचारमण्डिता । अघोरमंत्र संप्रीता अघोरमंत्रपूजिता।।
अघोर (Aghore)-
भगवान् शिव का एक रूप। तंत्रशास्त्र के अनुसार भगवान् शिव के पंचमुखो में से दक्षिण दिशा की और दर्शित एक मुख जिसका नाम ‘अघोर’ !
दक्षिण दिशा की और प्रकट हुआ यह मुख भगवान शिव द्वारा प्रदत्त उस ज्ञान के प्राप्ति का द्योतक है , जिसके फलस्वरूप अत्यंत निन्दित कर्म करने वाले अज्ञानता के कर्मपाश में जकड़ा प्राणी भी मोक्ष रूपी सागर में गोते लगाने सौभाग्य प्राप्त करता है।
घोर का अर्थ – अत्यंत कठिन
अघोर का अर्थ – अत्यंत सरल एवं सहज
वर्तमान भारत में इस समय एक ऐसे परिदृश्य का निर्माण होता जा रहा है। जिसमे किसी शमशान में या शमशान घाट के किनारे। किसी मुर्दे की लाश की अंगारो में भोजन बनता इंसान जो लाशो की अधजली अस्थियों को उठाकर एकत्रित करता उन अस्थियों की अस्थि माला अपने गले में डाल भ्रमण करता है। वही वास्तविक अघोरी है जबकि यह पूर्णतः भ्रामक घटना एक दुष्प्रचार है.
अघोर का सरलतम अर्थ सबके लिए सरल , सहज एवं सम्प्राप्य अर्थात अघोराचार सबसे सरल , नियमो के बंधनो से मुक्त सबसे सरल सहज और जल ही इष्ट का सान्निध्य प्राप्त करवाने वाला सहजमार्ग है।