धूमावती साधना प्रकल्प

धूमावती दीक्षा प्रकल्प

जै माई की ,
प्रायः कई तरह की जिज्ञासर्थुओं के द्वारा यह प्रश्न किया जाता है की भगवती धूमावती की साधना कैसे करें तथा इनकी दीक्षा कैसे प्राप्त हो ?…
भगवती धूमावती की सिद्धिलाभ जल्दी से जल्दी कैसे करें?…
क्या भगवती की प्रत्यकक्षानुभूति की जा सकती है ?….
भगवती की दीक्षा किस मार्ग से होती है तथा किस कुल व संप्रदाय के अंतर्गत इनके दीक्षा का विधान है?…
इस तरह के कई प्रश्नों के उत्तर के सारसवरूप Dhumavati Aamnay यह लेख प्रकाशित किया जा रहा है |

मित्रों, सबसे पहले आपको यह ज्ञात होना चाहिए की कोई भी विद्या , सिद्ध विद्या अथवा महाविद्या के पास जानें का सीधा मार्ग नहीं होता है | प्रत्येक देवी – देवता के पास पहुंचने का एक विशेष श्रेणीबद्ध अनुक्रम (hierarchy) होता है।

आवरण शक्तियाँ

परंतु जब विषय धुमावती जैसी महाविद्याओं का हो जो आगम की सर्वोत्कृष्ट विद्याओं में से एक हैं और उनके जैसा न कोई हुआ और न ही कोई हो सकता है । तो हमें जल्दीबाजी करने से बचना चाहिए , आपको यह बताना मैं उचित समझता हूं की कोई भी महाविद्या अथवा सिद्धविद्या हो वह कभी अकेली नहीं होती है उनके साथ उनके आवरणशक्तियों सहित चेटक-चेटकीयां, योगिनी तथा भैरव होतें हैं जो देवी की साधना में रंच मात्र भी त्रुटि होने पर अथवा नियम भंगता की स्थिति उत्पन्न होने पर साधक के ऊपर अत्यंत क्रुद्धावेश में कठोरतम रूप से दंडात्मक कार्यवाही करने लगते है जिसके कारण देवी साधक अपनी साधना के बीच में ही साधना को छोड़ने पर विवश हो जाता है और यदि साधक अत्यंत साहसी है और इन झंझावातों के परिणामस्वरूप उत्पन्न हुए नाकारात्मक आवरण में अपने मूर्खतापूर्ण साहस का प्रदर्शन करता है तो परिणाम उसे मानसिक विछिप्तता का भोगना पड़ता है . मित्रों यह सब मैं आपको भयभीत करने के लिए नहीं बल्कि सजग और चैतन्य होने के लिए समझा रहा हूं। 

अघोराचार , वामाचार और दिव्यमार्ग

Dhumavati महाविद्या की साधना या उपासना करनें के कई मार्ग , आचार परंपराएं तथा संप्रदाय है जो प्रायः लुप्तप्राय हैं जिनमें से कुछ का प्रचलन जैसे की वामाचार , अघोराचार आदि…. का अस्तित्व आज भी दिखलाई पड़ता है | परंतु इन मार्गों का अनुसरण कर आप देवी का सायुज्य प्राप्त ही कर लेंगे ऐसा ही हो यह संभव नहीं है क्योंकि इन मार्गों में जो साधना की वृत्ति अपनाई जाती है वह पिसाच वृत्ति कहलाती है इसलिए इन मार्गों से साधना का अनुसरण करने से साधक बहुत जल्दी ही सिद्धि लाभ प्राप्त कर लेते परंतु देवी सायुज्य की प्राप्ति भी हो जाए ऐसा प्रत्येक के साथ संभव नहीं है | धूमावती साधना का सबसे सुगमतम और दिव्यमार्ग है दत्तात्रेय संप्रदाय ( आनंद नाथ )
के अंतर्गत श्रीविद्या साधना के अनुक्रमबद्ध तरीके से साधना की पूर्ण गहराइयों को समझते हुए भगवती धूमावती का सायुज्य प्राप्त करना है जिसका पहला चरण है महागणपति साधना
शेष आगे…….✍️

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