धुमावती दीक्षा प्रकल्प भाग-2
जै माई की
मित्रों, पूर्व लेख (धुमावती दीक्षा प्रकल्प ) में भगवती के दीक्षा के महात्म्य के रूप में श्रीविद्या रूपी अत्यन्ततम शुद्धतम मार्ग का आंशिक वर्णन किया गया । आज इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए श्रीविद्या के क्रम दीक्षा के अंतर्गत कुछ महत्वपूर्ण विषयों पर प्रकाश डालेंगें।
द्वादश सम्प्रदायों में विभाजित श्रीविद्या मुख्यतः 3 मतों के अंतर्गत इस सृष्टि में प्रचारित तथा प्रसारित हुई है ।
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● कादी:- मन्मथ एवं कामराजोपासित
● हादी:- लोपामुद्रा एवं अगतस्योपासित
● सादी:- दुर्वासा
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परशुराम कल्पसूत्रम में वर्णित दत्तात्रेय सम्प्रदाय के अंतर्गत भगवान दत्त ने परशुराम को जो श्री विद्या का ज्ञान दिया उस क्रम का निरूपण इस प्रकार है।
महागणपति , राजश्यामलाम्बा , श्रीदण्डनाथा , श्रीबालाम्बिका , षोडशी (राजराजेश्वरी)
महागणपति का संक्षिप्त परिचय
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श्रीविद्या की अधिष्ठात्री देवी ललिता के ज्येष्ठपुत्र महागणपति हैं। उनके विषय में एक कथा प्रचलित है ।
ब्रम्हा के मानस पुत्र मरीचि ने तप कर वरदान प्राप्त किया कि आदिशक्ति महामाया मुझे पुत्री रूप में प्राप्ति हो , कालांतर में भगवती का पुत्री में उनके यहाँ प्रादुर्भाव हुआ जिसका वल्लभा रखा गया । जिसका विवाह 64 गणेश पर आधिपत्य रखने वाले भगवान श्रीमहागणपति से किया गया । वल्लभा के पति होनें के कारण ही दक्षिण भारत में इन्हें वल्लभेश गणपति के नाम से संबोधित किया जाता है। तथा माता वल्लभा को सिद्धलक्ष्मी कह कर संबोधित किया जाता है।
इसके साथ ही भगवान विष्णु और लक्ष्मी से उत्पन्न हुई द्वादश कन्यायों का विवाह भी महागणपति के साथ सम्पन्न हुआ । जिनके नाम क्रमशः मोदा ,प्रमोदा , सुभगा , सुंदरी , मनोरमा , मङ्गला , केकिनी , कटका , चारुषा , सुंदरी , नंदनी और कामदा यह सभी भगवान की शक्तियां है जो पत्नी रूप में सदैव भगवान श्रीमहागणपति के साथ सदैव रहती हैं। महागणपति संसार की सबसे तीव्र शक्ति मानी जाती है । इनका 28 अक्षर का मंत्रराज मुख्यतः 4 महाशक्तियों से पुटित है । इस मंत्रराज में दंडनाथा ( महावाराही ) का आविर्भाव होनें से महागणपति समस्त प्रकार के तांत्रिक प्रयोगों , अभिचार कर्म ( मारण , मोहन , उच्चाटन , वशीकरण , स्तम्भन , विद्वेषण ) से तुरन्त मुक्ति प्रदान करते हैं। आज संसार भर में अघोर शक्तियों ने आतंक और उन्माद फैला कर रखा है , जिसके प्रभाव में जाने – अनजाने में प्रत्येक व्यक्ति एवं घर है । इसलिए महागणपति की दीक्षा के साथ गुरुपादुका मन्त्र भी दिया जाता है, जो सर्वप्रथम आपको इन अघोर शक्तियों के चंगुल से आपको मुक्ति प्रदान कर साधना में उत्तरोत्तर वृद्धि के लिए मार्ग प्रशस्त करता है।
महागणपति के विषय में जितना भी वर्णन किया जाए उतना ही कम है । धन के क्षेत्र में आ रही रुकावटे तथा बार-बार आर्थिक तंगी से परेशान लोगों के लिए यह साधना अमृत की बूंदों के समान है क्योकि भगवान श्रीमहागणपति सबसे पहले आपके कुल में जमा हुए स्थाई दोषों को दूर कर आपके धन के मार्ग को खोलते हैं।
शेष आगे ✍️….
नोट:- गृहक्लेश , कुलदेवी के दोष , व्यापार बन्धन , गुप्तशत्रु दोष , शारीरिक दोष, अभिचार कर्म, Black मैजिक से ग्रसित व्यक्ति धूमावती की अंगविद्या धूम्राक्षी देवी का पूजन कर इन समस्त दोषों और अभिचार कर्म से मुक्त हो अपने जीवन को सुखमय बना सकते हैं। ज्यादा जानकारी के लिए click करें। 👇👇🏻👇🏽