कुम्भ राशि का तांत्रिक एवं आध्यात्मिक महत्व

कुंभ राशि का परिचय

यह राशि चक्र की ग्यारहवीं राशि है। कुम्भ राशि , सिंह राशि के ठीक विपरीत है। इसलिए इसका रंग काला है, और यहाँ सदैव अन्धकार व्याप्त रहता है। यह उस जीवन का प्रतीक है जो संघर्षों एवं दुःखो से भरा रहता है। इसी राशि क्षेत्र में परम सूर्य का अस्त होता है। अर्थात यह राशि जीवन की संध्या का प्रतिनिधित्व करती है। 

कुम्भ राशि का तांत्रिक महत्व

कुम्भ राशि मुख्यतः 3 नक्षत्रों से मिलकर बना है जिनका नाम मुख्यतः धनिष्ठा ,सप्तऋषि एवं पूर्व भाद्रपद है।कुम्भ राशि या कुम्भ लग्न में जन्म लेने वाले व्यक्ति मध्य आयु प्राप्त करने के पश्चात जीवन में उन्नति करते हैं।  कुम्भ राशि मनुष्यों की बलिदान भूमि है। संघर्षमय जीवन और आत्मा के क्रिया व्यापार  का यह क्षेत्र है। यहीं मनुष्य, आत्मा के सही स्वरुप को महसूस करता है। यह राशि शनि के प्रभाव के अंतर्गत है। कुम्भ राशि मोक्ष प्राप्ति के लिए जीवन-यात्रा का अंत है। यहीं मनुष्यो को सुक्ष्म विवेक का ज्ञान  होता है।  इस प्रत्यक्ष ज्ञान की दो दिशाएं हैं – एक दिशा तो बहुत धोखेबाज एवं स्वार्थी बनाती  है और दूसरी व्यक्ति को स्वच्छ चरित्रवान बनाकर उसे आत्म बलिदान ,सहनशक्ति और वैराग्य की शिक्षा देती है।   

कुम्भ राशि मे जन्में व्यक्तियों की विशेषताएँ

इस राशि में जन्मे व्यक्ति सौन्दर्यप्रेमी ,आत्म सयमी और आत्मविश्वासी होते हैं। इनके चेहरे से दृढ़ता एवं गंभीरता टपकती है जिससे दूसरों के मन में विश्वास पैदा होता है आदमी विश्वासपात्र है।                                                               •इस राशि में जन्म लेने वाले व्यक्ति अपनी दृढ़ निश्चिता , गहरी लगन एवं सहनशीलता के कारण  सभी  कार्यों में सफलता प्राप्त करते हैं।  

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *