Relation of Shri Chakra with our mind

श्रीचक्र स्वरूपिणी भगवती धुमा का हमारें मस्तिष्क से सम्बन्ध

भावोपनिषद के अनुसार,
यह सम्पूर्ण विश्व ब्रम्हांड श्रीचक्र मण्डल का स्वरूप है।
श्रीचक्र मण्डल के अंतर्गत ध्रुव मण्डल है । ध्रुव मण्डल के अंतर्गत 3 और मण्डल आतें हैं।  
जो क्रमशः
♦—- खंडकाल मण्डल
♦—- काल मण्डल
♦—-महाकाल मण्डल

  • ब्रम्हांड में व्याप्त महाकाल मण्डल हमारे इस मानवपिंड मे भी व्याप्त है । इस दृष्टि से यह सिद्ध होता है।
    कि श्रीचक्र मानव शरीर के भीतर ही सूक्ष्मरूप से व्याप्त होता है।
    इसी मानव शरीर में ध्रुवमण्डल व्याप्त है। जिसका सम्बंध हमारें Cranial Part के                     (1) Frontal (2) Temporal (3) Parietal भाग से है ।
    भूत-भविष्य-वर्तमान का सम्बंध इसी खंडकालमण्डल से है। मस्तक पर त्रिपुंड लगाना , हमारे ऋषियों द्वारा ध्रुवमंडल की  कालदर्शन  शक्तियों  को जागृत करने का द्योतक है।

●कालखण्ड का सम्बंध:- हृदय प्रदेश से
● महाकाल मण्डल का संबंध :- नाभि प्रदेश से
◆ योगी आन्तरयोग साधना से शाम्भवी , क्रियायोग जैसी मुद्राओं को आधार बनाकर पिण्डस्थ श्रीचक्र की साधना करते हैं ।
वहीँ सामान्य साधक धातुयंत्रों का माध्यम बनाकर ब्रम्हाण्डस्थ श्रीचक की साधना करते हैं।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *