धूमावती के अश्रापित नामों के गूंढ़य रहस्य [ part-1 ]

जै माईकी                                                    मित्रों , दशमहाविद्याओं  में से एक  श्रीभगवती  माता धूमावती के  के बारें में भांति -भांति  की  भ्रांतियाँ  इस सम्पूर्ण जगत में फैली हुई हैं , विषय कि  सही जानकारी और  विशेषज्ञता के अभाव  में  कुछ तथाकथित  गुरुओं  के  द्वारा  फैलायी  गयी  अज्ञानता  का  खंडन  करने  के उद्देश्य से हम  माता के कुछ नामों का रहस्य  आपके सामने  प्रत्यक्ष दर्शी के रूप में प्रकट करेंगे। 

‘धूमावती धूम्रवर्णा धूम्रपान परायणा ।  धूम्राक्षमथिनी धन्या धन्यस्थान वासिनी ।। ‘

धुम्रवर्णा :-  धूम्र का अर्थ  ‘श्वेत’ जो हल्का पारदर्शी है। वर्ण का अर्थ रंग’ अर्थात हिम्  के सामान अत्यंत  गौरवर्ण वाली देवी जिनके देह की त्वचा इतनी गौरवर्णीय जिससे देह में उपस्थित रुधिर की धमनियाँ छद्म रूप से दृश्यमान हो रहीं है। ऐसी देवी जिनका नाम धूमावती है , को मैं  प्रणाम करता हूँ।  

धूम्रपानपरायणा :- धूम्रपान अर्थात जो धुएँ का सेवन करता है।  परायण का अर्थ हुआ किसी कार्य  नियमबद्ध तरीक़े से करते रहना। यहाँ इस शब्द का भावार्थ हम आपके सामने प्रस्तुत करें तो इसका अर्थ यह हुआ कि वें आगमिक मार्ग का अनुसरण करने वाले तंत्र साधक जो पंचाग्नि धुम्रसाधना में स्वशरीर को तपाते हुए अपने कर्तव्य में रत रहते हुए उस चिरस्थायी महाशक्ति की साधना में सल्लीन हैं। वे ही महान दिव्य तंत्रआत्मायें भगवती धूमावती के पूर्ण चेतनामयी स्वरुप में विलीन हो पाती है।  

धूम्राक्षमाथिनी धन्या धन्यस्थान निवासिनी 

धूम्राक्षमाथिनी :- अत्यंत चंचल नयनों वाली।  धन्या धन्यस्थान निवासिनी :- पुण्यमयी पुण्यस्थान में निवास करने वाली।    इसका शाब्दिक भावार्थ यह होगा कि अत्यंत चंचल , वेगवान दृश्यवती नेत्रों वाली देवी जो तंत्रमार्ग का अनुसरण करने वाले आगमिक कॉलिको , अघोराचार्यों , नाथपंथियों और हठयोगियों के तापस्वरूप  बढ़ी ऊर्जा के आवरण में निवासरत है ऐसी देवी धूमावती को मेरा प्रणाम है। 

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