मीन राशि का तांत्रिक एवं ज्योतिषीय महत्व

मीन राशि का परिचय

खगोल एवं ज्योतिष विज्ञानं , के अनुसार “मीन राशि “ चक्र की बारह राशियों में से अंतिम राशि है। यह मछलियों और जलीय जीवों के आनंद और प्रत्यक्ष ज्ञान की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यह राशि चिरन्तर मुक्ति का प्रतीक है। ‘मत्स्य’ शब्द का सामन्यतः प्रयोग जलीय प्राणियों के लिए होता है। लेकिन योग शास्त्र के अनुसार ‘मीन’ शब्द का सम्बन्ध उच्च बौद्धिक क्षमता एवं प्रत्यक्ष ज्ञान की प्राप्ति से है  ‘मत’ शब्द का संस्कृत अर्थ आनंदित होने से है इसलिए जो आनंद या विवेक से निकलता है वह मत्स्य है। 

मीन राशि का तंत्र में क्या महत्व है

विवेक से प्राप्त आनंद का घनिष्ठ संबंध मुख्यतः 5 सुखों से है। ये प्रत्येक सुख ‘म’ अक्षर से प्रारम्भ होते है. तंत्र में इन्हे पञ्च मकार  कहा गया है  . ये हैं – मत्स्य ,मांस ,मुख ,मुद्रा और मैथुन।  तांत्रिक विधियों के अनुसार इन विधियों का सम्बन्ध  छायापथ अर्थात आकाश गंगा से है। जो आत्मचेतन प्राप्त करने का स्थान है। मीन राशि छायापथ का प्रलंबन है। 

चैत्र मॉस के शुक्लपक्ष में जब सूर्य मीन राशि में और दृश्यमान चंद्र वृष राशि में रहते हैं ,तब उस समय से वासंती दुर्गा पूजा प्रारम्भ होती है। जिससे यह सिद्ध होता है की माँ दुर्गा भी छ्या पथ का ही प्रलंबन है। 

मीन राशि में जन्मे लोगों की सामन्य विशषताएँ

  • सावेगात्मक होना  , दोहरी चाल चलना , अपने व्यक्तित्व के प्रति दृण होना , किसी भी कार्य के प्रति असीम उत्साह  होना एवं भीतरी लग्न होना।  

  • एक बार कोई काम हाथ में लेने के बाद तब तक वे चैन से नहीं बैठते जब तक काम को पूर्ण न कर लेवें। 
  • उनके व्यक्तित्व के लिए  बड़ा धब्बा यह होता है की किसी सुंदर वास्तु या विपरीत लिंग को देखने बाद वह  तुरंत उसकी ओर  आकर्षित हो जाते है। 
  • विभिन्न प्रकार के विशियों की जानकारी  एवं उन विषयो को अपने अधिकार में करने की उनके भीतर तीव्र  इच्छा रहेगी। 

इनके भीतर ईश्वर प्रदत्त एक ख़ास प्रवृत्ति होती है की इन्हे यह फर्क नहीं पड़ता की उनका जन्म गरीब परिवार या किसी अमीर परिवार में हुआ है। यह अपनी योग्यता एवं काम के प्रति लग्न के कारण आपने परिस्थतियों में काफी सुधर कर लेंगे।  ये सामन्य रूप से सौभाग्य वादी होते हैं। 

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