महाशक्ति बंगलामुखी एवं अथर्वा प्राणसूत्र का रहस्य

महाशक्ति बंगलामुखी एवं अथर्वा प्राणसूत्र का रहस्य

महाशक्ति बंगलामुखी

 महाशक्ति बंगलामुखी यह महारूद्र की शक्ति है। प्राणियों के शरीर में “अथर्वा” नाम का प्राणसूत्र विद्यमान  है। प्राणरूप होने से हम इसे सामान्य आखों से देख नहीं पाते हैं। अपरोक्ष रूप से जिस शक्ति से हमारा मन व्याकुल हो जाता है उसी का नाम अथर्वा है। इस शक्ति के सूत्र विज्ञान से हजारों मील रूप दूरस्थ व्यक्ति का आकर्षण किया जा सकता है। जैसे प्राघुणिक के आगमन का ज्ञान हमें नहीं होता किन्तु काक(कौये) को हो जाता है उसी प्रकार जिस अथर्वा प्राण सूत्र को हम नहीं पहचानते उसे श्वान(कुत्ता) पहचान लेता है। उसी शक्ति के ज्ञान से (जो श्वान में जन्मजात विकसित होती है) जमीन को सूंघकर चोरों तक पहुंच जाता है। क्योकि चोर जिस मार्ग से जाता है उस मार्ग में चोर के अथर्वा प्राण की गंध वासना रूप से मिट्टी में मिल जाती है जिसे सूंघकर कुत्ता चोरों का पता लगा लेता है। 

अथर्ववेद

अथर्ववेद एक औषधि विज्ञान है। उसके अनुसार अभिचार प्रयोग है। इसका अथर्वा सूत्र से संबंध है । अथर्वा सूत्ररूपा इसी महाशक्ति का नाम बल्गामुखी है । यह इसका वैदिक नाम है। बल्गा शब्द आगम में बगला रूप में परिणत हो गया है। यही बगलामुखी है। शत्रु को कष्ट देने के लिए कृत्या शक्ति की आराधना करनी चाहिए। इसका ध्यान इस प्रकार है

“जिह्वाग्रमादाय करेण देवीं वामेन शत्रून् परिपीडयतीम् । गदाभिघातेन च दक्षिणेन पीताम्बराढयां द्विभुजां नमामि ।।”

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